• Home
  • ताज़ा न्यूज़
  • एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी क्या है ये चुनाव
one nation one election

एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी क्या है ये चुनाव

केंद्र सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव‘ के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी है। इस प्रस्ताव के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएंगे, जबकि शहरी निकाय और पंचायत चुनाव 100 दिनों के भीतर संपन्न कराए जाएंगे। यह निर्णय पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए लिया गया है।

समिति का मानना है कि साथ-साथ चुनाव कराने से न केवल चुनावी प्रक्रिया में सुधार होगा, बल्कि शासन प्रणाली को भी मजबूती मिलेगी। इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सकेगा। इस उच्चस्तरीय समिति ने 32 राजनीतिक दलों, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, हाई कोर्ट के न्यायाधीशों और कई प्रमुख कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा के बाद यह सिफारिश की है।

समिति की रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ से मतदाताओं के लिए चुनाव प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इसके साथ ही, यह कदम तेज आर्थिक विकास और एक स्थिर अर्थव्यवस्था की ओर ले जाएगा। समिति का तर्क है कि एक ही चुनावी चक्र से व्यापारिक और कॉर्पोरेट जगत को नीतिगत अस्थिरता का डर नहीं रहेगा, जिससे वे बेझिझक निर्णय ले सकेंगे।

क्या है ये एक राष्ट्र, एक चुनाव ?

1951-52 से 1967 तक भारत में लोक सभा और राज्य विधान सभाओं के चुनाव साथ-साथ कराए जाते थे। इसके बाद से यह परंपरा टूट गई और अब लगभग हर वर्ष कहीं न कहीं चुनाव आयोजित किए जाते हैं। यह स्थिति न केवल सरकार और अन्य हितधारकों के लिए आर्थिक बोझ बन रही है, बल्कि सुरक्षा बलों और चुनाव अधिकारियों को भी लंबे समय तक अपने नियमित कार्यों से दूर रहना पड़ता है।

भारत के विधि आयोग ने अपनी 170वीं रिपोर्ट में भी इस बात पर जोर दिया है कि चुनावों के चक्र को व्यवस्थित किया जाना चाहिए। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि लोक सभा और सभी विधान सभाओं के चुनाव साथ-साथ कराए जाने चाहिए, ताकि प्रशासन और संसाधनों का सही उपयोग हो सके। साथ ही, यह भी स्पष्ट किया गया है कि अनुच्छेद 356 के तहत विधान सभाओं के लिए अलग से चुनाव कराना अपवाद होना चाहिए, न कि नियम।

कार्मिक, लोक शिकायत, विधि और न्याय विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति ने भी 2015 में प्रस्तुत अपनी 79वीं रिपोर्ट में इस मुद्दे की गहराई से जांच की थी। समिति ने सुझाव दिया कि दो चरणों में साथ-साथ चुनाव कराना संभव और व्यवहारिक हो सकता है। इस प्रकार, सरकार ने राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए एक उच्च स्तरीय समिति (एचएलसी) का गठन किया है, जो इस मुद्दे की गंभीरता से जांच करेगी और देश में साथ-साथ चुनाव कराने की दिशा में कदम उठाएगी।

एक राष्ट्र, एक चुनाव कराने के संभाविक कारन

  1. वित्तीय बोझ: बार-बार होने वाले चुनावों से सरकारी खजाने पर बड़ा बोझ पड़ता है। चुनाव प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था, प्रचार, और प्रशासनिक खर्चे काफी बढ़ जाते हैं।
  2. विकास में बाधा: आदर्श आचार संहिता के कारण सरकारें विकास कार्यों को पूरा नहीं कर पातीं। परियोजनाएं अधूरी रह जाती हैं और जनता को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है।
  3. प्रशासनिक चुनौतियां: सुरक्षा बलों और चुनाव अधिकारियों को चुनाव के दौरान लंबे समय तक अन्यत्र तैनात रहना पड़ता है, जिससे उनके मूल कर्तव्यों में कमी आती है।
  4. सुरक्षा बलों पर दबाव: चुनावों के दौरान सुरक्षा बलों की तैनाती महत्वपूर्ण होती है। हर साल अलग-अलग समय पर चुनाव होने से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है और उनकी तैनाती अन्य जरूरी क्षेत्रों में नहीं हो पाती।

इस प्रकार, एक साथ चुनाव कराने की दिशा में गंभीरता से विचार करना अब समय की मांग है। इससे न केवल विकास कार्यों में तेजी आएगी, बल्कि प्रशासनिक खर्चों में भी भारी कमी आएगी।

Releated Posts

Shefali jariwala latest news दिल का दौरा पड़ने से निधन पुलिस जांच जारी

मुंबई, 28 जून, 2025 – मनोरंजन जगत आज एक गहरे सदमे और अकल्पनीय दुख से जूझ रहा है।…

Shubhanshu Shukla और उनकी ऐतिहासिक Axiom-4 यात्रा

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla का नाम अब इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों…

मुकुल देव निधन एक मुस्कुराहट जो अब सिर्फ यादों में ज़िंदा रहेगी

बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री से एक बेहद दुखद खबर सामने आई है। अभिनेता मुकुल देव का 23 मई…

Mumbai Rain Red Alert 2025 चेतावनी IMD ने दिया रेड और ऑरेंज अलर्ट

Mumbai Rain Red Alert 2025: 23 मई 2025: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मुंबई और आसपास के इलाकों…