आजकल नौकरी के लिए आवेदन करना कई बार सिर्फ LinkedIn के ‘Apply’ बटन पर क्लिक करने जितना आसान हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से मदद लेकर CV तैयार करना और एक क्लिक में आवेदन करना अब सामान्य हो चला है। लेकिन ऐसे समय में भी कुछ उम्मीदवार अपने प्रयासों से सबका ध्यान आकर्षित करने में सफल हो रहे हैं। हाल ही में Swiggy के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट (AVP) ऑफ डिजाइन, सप्तर्षि प्रकाश ने सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही अनुभव साझा किया, जब उन्हें एक युवा प्रोफेशनल का हाथ से लिखा हुआ आवेदन पत्र डाक से मिला।
बेंगलुरु में स्थित सप्तर्षि ने इस अनोखे अनुभव को X (पूर्व में ट्विटर) पर साझा किया। उन्होंने बताया कि इस अनोखे तरीके ने उन्हें प्रभावित किया। “एक डिज़ाइनर से एक पत्र मिला है जो स्विगी में जुड़ने का इच्छुक है और एक नए कॉन्सेप्ट के साथ आया है,” सप्तर्षि ने अपने पोस्ट में कहा, और साथ में उस पत्र की तस्वीरें भी साझा कीं।
Swiggy के लिए एक नए कांसेप्ट का सुझाव
इस पत्र में उस जॉबसीकर ने Swiggy ऐप के उपयोगकर्ता अनुभव को और बेहतर बनाने के लिए एक नया आइडिया प्रस्तुत किया। उत्साहित होकर उन्होंने लिखा, “मुझे यह अवसर मिल सके तो मैं अपनी इस सोच को आपके और आपकी टीम के साथ साझा करना पसंद करूंगा… मेरी सच्ची उम्मीद बस यह है कि मुझे अपने काम और सोच को आपके सामने पेश करने का मौका मिले।”
हालाँकि सप्तर्षि ने स्पष्ट किया कि Swiggy में वर्तमान में UX/UI डिज़ाइन के लिए कोई वैकेंसी नहीं है, लेकिन उन्होंने उम्मीदवार से उनके विचार ईमेल के माध्यम से साझा करने का अनुरोध किया। उन्होंने लिंक्डइन पर लिखा, “भले ही फिलहाल Swiggy में आपके लिए कोई भूमिका नहीं है, लेकिन आपके प्रयास को मैंने जरूर नोट कर लिया है… मुझे आपके द्वारा विकसित किए गए इस कांसेप्ट को देखना अच्छा लगेगा। क्या आप मुझे ईमेल पर इसे भेज सकते हैं? आपने मेरा पोस्टल पता ढूंढ़ा है तो मेरा ईमेल भी खोज ही लेंगे!”
सोशल मीडिया पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं
सप्तर्षि का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, X पर इसे 40 हजार से अधिक बार देखा गया। कई यूज़र्स ने इस जॉबसीकर के नवाचार और दृढ़ संकल्प की सराहना की। एक यूज़र ने लिखा, “आज के दौर में, कागज का उपयोग करना और फिजिकल माध्यम से जुड़ना ही अनोखा है। इसे बुकमार्क कर लें!” वहीं, दूसरे ने डिज़ाइनर की रचनात्मकता की तारीफ करते हुए कहा, “यह डिज़ाइनर वास्तव में बॉक्स के बाहर सोच सकता है।”
ऐसे अनोखे प्रयास साबित करते हैं कि चाहे डिजिटल युग कितना भी आगे क्यों न बढ़ जाए, कभी-कभी पुराने तरीके ही सबसे ज्यादा असर डालते हैं।