गुकेश डोम्मराजु का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जो न केवल शतरंज प्रेमियों के लिए, बल्कि हर व्यक्ति के लिए सीखने का जरिया है। आइए उनके जीवन और करियर को और करीब से जानें।
बचपन और परिवार का सहयोग
गुकेश का जन्म 29 मई 2006 को चेन्नई में हुआ। उनके माता-पिता ने उनके शौक को हमेशा प्रोत्साहित किया। उनके पिता, राजनीकांत, एक डॉक्टर हैं, जिन्होंने अपने बेटे के सपनों को साकार करने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी। उनकी माँ, पद्मा, जो एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं, परिवार के आर्थिक जिम्मेदारियों को संभालती रहीं।
गुकेश ने केवल 7 साल की उम्र में शतरंज सीखना शुरू किया। शुरुआत में यह एक खेल भर था, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत और कौशल ने इसे एक मिशन बना दिया। उन्होंने वेलामल विद्यालय, चेन्नई में पढ़ाई की, जो उनकी शतरंज ट्रेनिंग के साथ सामंजस्य बनाए रखने में सहायक रहा।
शतरंज की दुनिया में शुरुआत
गुकेश ने 2015 में एशियन स्कूल चेस चैंपियनशिप में अंडर-9 वर्ग का खिताब जीता। 2018 में, उन्होंने वर्ल्ड यूथ चेस चैंपियनशिप में अंडर-12 वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसी वर्ष, उन्होंने एशियन यूथ चेस चैंपियनशिप में पाँच स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया।
उन्होंने 12 साल की उम्र में इंटरनेशनल मास्टर का खिताब हासिल किया और 2019 में ग्रैंडमास्टर बने। यह उपलब्धि उन्हें दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर्स की सूची में लाकर खड़ा कर देती है।
बड़े मुकाबले और यादगार जीत
गुकेश ने अपने करियर में कई बड़े मुकाबले जीते। 2022 में, उन्होंने 44वें शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम का हिस्सा बनकर व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीता। 2024 में, 45वें ओलंपियाड में उन्होंने भारतीय टीम को पहली बार स्वर्ण पदक दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनका खेल इतना प्रभावशाली रहा कि उन्होंने कई दिग्गज खिलाड़ियों जैसे फैबियानो कारुआना और व्लादिमीर फेडोसेव को मात दी।
विश्व चैंपियन बनने की कहानी
2024 में, गुकेश ने शतरंज के इतिहास में सबसे युवा विश्व चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। उन्होंने चीन के डिंग लिरेन को 7½-6½ के स्कोर से हराया। इस खिताबी मुकाबले में उन्होंने न केवल अपनी मानसिक मजबूती दिखाई, बल्कि शतरंज के प्रति अपने जुनून को भी साबित किया।
खासियत और खेल शैली
गुकेश की शतरंज शैली को उनकी साहसिक चालों और गहरी सोच के लिए जाना जाता है। वे किसी भी स्थिति में हार नहीं मानते और अपने विरोधी की हर चाल का जवाब पहले से तैयार रखते हैं।
उनकी खेल शैली को देखकर दिग्गज खिलाड़ी सुज़ैन पोलगर ने कहा था कि गुकेश के पास एक विशेष गुण है, जो उन्हें आने वाले वर्षों में शतरंज की दुनिया में और ऊँचाई तक ले जाएगा।
आने वाले भविष्य की उम्मीदें
गुकेश न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा हैं। उनकी उपलब्धियाँ दिखाती हैं कि समर्पण, मेहनत और सही मार्गदर्शन से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।
उनका सफर यह संदेश देता है कि सपने देखने वालों को सिर्फ विश्वास और मेहनत की जरूरत होती है। गुकेश ने यह साबित कर दिया कि उम्र सिर्फ एक संख्या है, और जुनून ही असली ताकत।