Punjab Land Pooling Scheme 2025 ने पूरे पंजाब में विकास और किसानों की भागीदारी को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है। यह योजना कोई सामान्य भूमि अधिग्रहण योजना नहीं है, बल्कि एक साझेदारी की पहल है, जो किसानों को सिर्फ़ मुआवज़ा देने के बजाय उन्हें विकसित ज़मीन लौटाकर उनका भविष्य भी सुरक्षित करती है।
किस दिशा में बदलेगा पंजाब?
पिछले वर्षों में पंजाब के कई इलाकों में अवैध कॉलोनियों और अनियोजित शहरीकरण देखने को मिला है। ऐसे में Punjab Land Pooling Scheme एक सुनियोजित विकास मॉडल के रूप में सामने आई है। सरकार इसे 27 शहरों में लागू कर चुकी है, जिनमें लुधियाना, मोहाली, अमृतसर, जालंधर, पटियाला, बठिंडा और संगरूर जैसे क्षेत्र शामिल हैं। 65,533 एकड़ भूमि को इस योजना के तहत लाया गया है।
योजना की सबसे अहम बात: “स्वेच्छा से भागीदारी”
Punjab Land Pooling Scheme की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें ज़मीन का अधिग्रहण बलपूर्वक नहीं किया जाता। किसान अपनी ज़मीन सरकार को स्वेच्छा से दे सकते हैं और इसके बदले में उन्हें विकसित भूखंड दिए जाते हैं। यह मॉडल किसानों को भागीदार बनाता है, न कि सिर्फ़ ज़मीनदाता।
क्या मिलेगा बदले में?
योजना के अंतर्गत किसानों को उनकी ज़मीन के बदले विकसित रिहायशी और व्यावसायिक भूखंड मिलते हैं। उदाहरण के लिए:
- 1 कनाल ज़मीन देने पर: 125 वर्ग गज का प्लॉट और 25 वर्ग गज की दुकान
- 2 कनाल: 250 वर्ग गज प्लॉट और 50 वर्ग गज दुकान
- 4 कनाल: 500 वर्ग गज या 2×250 वर्ग गज प्लॉट और 100 वर्ग गज दुकान (FAR 3 तक)
- 1 एकड़ (8 कनाल): 1,000 वर्ग गज का प्लॉट और 200 वर्ग गज की SCO (Shop-Cum-Office)
इसके अलावा, हर 9 एकड़ भूमि के बदले किसानों को 3 एकड़ पूरी तरह विकसित भूमि वापस दी जाती है।
आर्थिक लाभ भी तय
जब तक भूमि सरकार के कब्ज़े में नहीं जाती, किसान उस पर खेती जारी रख सकते हैं। इस दौरान उन्हें ₹50,000 प्रति एकड़ वार्षिक मुआवज़ा मिलेगा। भूमि सरकार के पास जाते ही यह राशि ₹1 लाख प्रति एकड़ हो जाएगी और यदि विकास कार्य एक वर्ष से अधिक चलता है, तो हर साल 10% की वृद्धि भी लागू होगी।
Letter of Intent (LoI): एक बड़ा भरोसा
Punjab Land Pooling Scheme में आवेदन करने के 21 दिनों के भीतर किसानों को Letter of Intent (LoI) जारी किया जाता है। यह पत्र किसानों को बैंक से ऋण लेने में मदद करता है, जिससे विकास शुरू होने से पहले ही आर्थिक मजबूती मिलती है।
पारदर्शिता और सीधे भुगतान की नीति
योजना की सबसे बड़ी खासियतों में से एक यह है कि इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं है। सभी भुगतान सीधे किसानों के खाते में किए जाते हैं, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है। यह नीति किसानों के बीच भरोसे को और मजबूत करती है।
आलोचना और सरकार की प्रतिक्रिया
हालांकि, कुछ किसान संगठन और विपक्षी दल इस योजना को ग्रामीण आजीविका के लिए ख़तरनाक मानते हैं। वे इसे विस्थापन की एक और साजिश बता रहे हैं। लेकिन सरकार का साफ़ कहना है कि यह योजना पूरी तरह स्वैच्छिक है और किसी किसान पर ज़मीन देने के लिए कोई दबाव नहीं डाला जा रहा। इसके अलावा किसानों को विकसित प्लॉट और नकद मुआवज़ा दोनों मिल रहे हैं।
किसान की सुविधा के अनुसार बदलाव
Punjab Land Pooling Scheme को लगातार अपडेट किया जा रहा है ताकि यह किसानों के हित में बना रहे। यदि किसी किसान को प्लॉट का आकार या मुआवज़े में कोई बदलाव चाहिए, तो सरकार इस पर विचार करने को तैयार है। इससे योजना और अधिक लचीली और अनुकूल बनती जा रही है।
आवेदन प्रक्रिया
किसान और भूमि मालिक GMADA या संबंधित जिला कार्यालयों में जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए आवश्यक निर्देश और प्रपत्र सरकारी पोर्टलों पर उपलब्ध हैं। आवेदन के बाद LoI जारी किया जाता है और किसान योजना से जुड़ी पूरी जानकारी ले सकते हैं।
अभी तक की स्थिति (22 जुलाई 2025 तक)
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत अब तक सैकड़ों एकड़ ज़मीन किसानों द्वारा स्वेच्छा से दी जा चुकी है। सरकार ने मुआवज़े और भूखंडों की मात्रा में बढ़ोतरी जैसे कुछ संशोधन भी किए हैं, जिससे यह योजना और आकर्षक बन गई है। अधिकारियों का दावा है कि यह पारंपरिक भूमि अधिग्रहण नहीं है, बल्कि एक साझेदारी आधारित विकास मॉडल है।
डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट 22 जुलाई 2025 तक उपलब्ध सरकारी बयानों, अधिसूचनाओं और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।
Also Read :- पंजाब पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2025: उत्तर कुंजी जारी, 1746 पदों पर भर्ती के लिए आपत्ति दर्ज करने का अंतिम दिन