भारतीय फिनटेक कंपनी BharatPe और इसके पूर्व सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) के बीच लंबे समय से चल रहा विवाद आखिरकार सुलझ गया है। सोमवार को BharatPe ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि ग्रोवर अब कंपनी के साथ किसी भी रूप में नहीं जुड़ेंगे। “समझौते के हिस्से के रूप में, ग्रोवर न तो BharatPe के किसी पद पर रहेंगे और न ही कंपनी में हिस्सेदारी रखने वाले होंगे,” कंपनी के बयान में कहा गया।
इस समझौते के तहत, ग्रोवर के कुछ शेयरों को Resilient Growth Trust को हस्तांतरित किया जाएगा, जबकि शेष उनके पारिवारिक ट्रस्ट के अधीन रहेंगे। साथ ही, दोनों पक्षों ने किसी भी कानूनी कार्रवाई को आगे न बढ़ाने पर सहमति जताई है। कंपनी ने बयान में ग्रोवर के भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि वह अपने ग्राहकों और व्यापारियों को उत्कृष्ट सेवाएं देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, साथ ही मुनाफे के साथ अपनी वृद्धि को जारी रखेगी।
BharatPe announces settlement with ex Co-Founder pic.twitter.com/TJnFAX8vj0
— BharatPe (@bharatpeindia) September 30, 2024
यह मामला उस समय तूल पकड़ गया जब BharatPe ने ग्रोवर और उनके परिवार पर वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए, जिनसे कंपनी को लगभग 81.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आरोपों में फर्जी एचआर कंसल्टेंट्स को भुगतान, जुड़ी हुई कंपनियों से महंगे सौदे, फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट लेनदेन, अवैध ट्रैवल एजेंसी भुगतानों और सबूत नष्ट करने जैसी गंभीर बातें शामिल हैं।
सितंबर 2023 में, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने ग्रोवर के साले दीपक गुप्ता को इस मामले में गिरफ्तार किया था। मई 2023 में इस 81 करोड़ रुपये के कथित धोखाधड़ी मामले में दर्ज एफआईआर में गुप्ता, ग्रोवर और उनकी पत्नी मधुरी जैन के नाम शामिल थे। गुप्ता की गिरफ्तारी इस मामले में दूसरी थी, इससे पहले अमित कुमार बंसल को गिरफ्तार किया गया था, जिनका संबंध उन फर्जी कंपनियों से था जिन्हें 2019 से 2021 के बीच BharatPe के निदेशकों से 72 करोड़ रुपये का भुगतान मिला था।
गौरतलब है कि BharatPe की स्थापना अप्रैल 2018 में की गई थी, और तब से यह भारतीय फिनटेक उद्योग में तेजी से उभरी है।