आमिर खान, जो अपनी फिल्मों के साथ प्रयोग करने और गंभीर सामाजिक संदेश देने के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर Sitaare Zameen Par’ के साथ दर्शकों के सामने हैं। यह फिल्म उनकी 2007 की बहुचर्चित और समीक्षकों द्वारा सराही गई फिल्म ‘तारे ज़मीन पर’ की आध्यात्मिक अगली कड़ी मानी जा रही है। उम्मीदें बहुत ज़्यादा थीं, लेकिन पहले दिन की बॉक्स ऑफिस कमाई ने सबको थोड़ा निराश किया है। फिल्म ने दुनिया भर में कुल 20 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया है, जिसमें से भारत में 10.7 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
यह आंकड़े भले ही कुछ फिल्मों से बेहतर हों, लेकिन आमिर खान जैसे बड़े सितारे की फिल्म के लिए यह एक धीमी शुरुआत मानी जा सकती है। तुलनात्मक रूप से देखें तो, ‘सितारे ज़मीन पर’ ने अक्षय कुमार की ‘केसरी चैप्टर 2’ को पीछे छोड़ दिया है, जिसने वैश्विक स्तर पर 15 करोड़ रुपये कमाए थे। यह एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन जब इसकी तुलना अजय देवगन की ‘रेड 2’ (25.70 करोड़ रुपये) और सलमान खान की ‘सिकंदर’ (26 करोड़ रुपये) से की जाती है, तो ‘Sitaare Zameen Par‘ थोड़ा पीछे रह जाती है। यह साफ दर्शाता है कि फिल्म को अभी बॉक्स ऑफिस पर अपनी जगह बनाने के लिए लंबा रास्ता तय करना है।
‘Sitaare Zameen Par’ की कहानी ‘तारे ज़मीन पर’ की तरह ही दिल को छू लेने वाली और प्रेरणादायक लगती है। जहाँ ‘तारे ज़मीन पर’ डिस्लेक्सिया से जूझ रहे एक बच्चे की कहानी थी, वहीं ‘सितारे ज़मीन पर’ न्यूरोडायवर्जेंट व्यक्तियों को बास्केटबॉल सिखाने वाले कोच के रूप में आमिर खान के किरदार पर केंद्रित है। आमिर खान एक ऐसे अभिनेता हैं जो अपने किरदारों में गहराई और यथार्थवाद लाते हैं, और इस फिल्म में भी उनसे यही उम्मीद की जा रही है। फिल्म का विषय संवेदनशील है और समाज में न्यूरोडायवर्जेंट लोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
फिल्म को समीक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है, जो इसकी धीमी शुरुआत के बावजूद एक अच्छा संकेत है। अक्सर ऐसा होता है कि आमिर खान की फिल्मों को शुरुआत में भले ही धीमी प्रतिक्रिया मिले, लेकिन मौखिक प्रचार (word-of-mouth) के कारण वे बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन करती हैं। ‘तारे ज़मीन पर’ भी अपनी रिलीज़ के बाद धीरे-धीरे दर्शकों के बीच लोकप्रिय हुई थी और अंततः एक बड़ी सफलता साबित हुई। ‘सितारे ज़मीन पर’ के साथ भी ऐसी ही उम्मीद की जा रही है कि सकारात्मक समीक्षाएं और फिल्म का मजबूत संदेश दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच लाएगा।
वर्तमान बॉक्स ऑफिस परिदृश्य में, दर्शक केवल बड़े सितारों के नाम पर ही नहीं बल्कि फिल्म की कहानी और कंटेंट पर भी ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। ‘सितारे ज़मीन पर’ का विषय बेहद प्रासंगिक और महत्वपूर्ण है। यह फिल्म न केवल मनोरंजन प्रदान करती है, बल्कि दर्शकों को सोचने पर भी मजबूर करती है। आमिर खान ने हमेशा ऐसी फिल्में चुनी हैं जो केवल व्यावसायिक सफलता ही नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव भी लाती हैं।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘सितारे ज़मीन पर’ बॉक्स ऑफिस पर कैसा प्रदर्शन करती है। वीकेंड और छुट्टियों का समय फिल्म के कलेक्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यदि फिल्म अपनी पकड़ बनाए रखती है और सकारात्मक चर्चा जारी रहती है, तो यह निश्चित रूप से अपने शुरुआती आंकड़ों को पार कर एक बड़ी सफलता हासिल कर सकती है। ‘तारे ज़मीन पर’ की तरह ही, ‘सितारे ज़मीन पर’ भी एक ऐसी फिल्म बन सकती है जो न केवल व्यावसायिक रूप से सफल हो, बल्कि दर्शकों के दिलों में भी अपनी जगह बना ले और समाज में एक सकारात्मक प्रभाव डाले। फिल्म को अभी भी अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का मौका है, और आमिर खान के प्रशंसक निश्चित रूप से इस फिल्म को देखने के लिए उत्सुक होंगे।
निष्कर्ष
‘सितारे ज़मीन पर’ ने बॉक्स ऑफिस पर भले ही धीमी शुरुआत की हो, लेकिन आमिर खान की फिल्मों का इतिहास बताता है कि अक्सर उनका जादू धीरे-धीरे ही चलता है। ‘तारे ज़मीन पर’ की तरह ही, यह फिल्म भी एक संवेदनशील सामाजिक संदेश लिए हुए है और समीक्षकों से इसे सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। वर्तमान में दर्शक सिर्फ बड़े सितारों के नाम पर नहीं, बल्कि मजबूत कहानी और कंटेंट पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं, और ‘सितारे ज़मीन पर’ इन पैमानों पर खरी उतरती दिख रही है।
आने वाले वीकेंड और मौखिक प्रचार के दम पर यह फिल्म न केवल अपने शुरुआती आंकड़ों से आगे निकल सकती है, बल्कि ‘तारे ज़मीन पर’ की तरह व्यावसायिक सफलता के साथ-साथ दर्शकों के दिलों में भी एक खास जगह बना सकती है, और समाज में एक सार्थक प्रभाव भी छोड़ सकती है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या आमिर खान की यह नई पेशकश भी बॉक्स ऑफिस पर अपने सितारों की चमक बिखेर पाएगी।
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