अमेरिकी वीज़ा के लिए फर्जी दस्तावेज़ और नकली बैंक बैलेंस दिखाने वाले गिरोह का पर्दाफाश, मोटी रकम लेकर देते थे धोखाधड़ी की सेवा: पंजाब पुलिस
लुधियाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया है जो अमेरिका में प्रवास की इच्छा रखने वाले लोगों को फर्जी शैक्षणिक डिग्रियां और कार्य अनुभव प्रमाण पत्र उपलब्ध कराता था। पुलिस के अनुसार, यह गिरोह आवेदकों से भारी रकम लेकर नकली दस्तावेज़ जारी करता था और उनके बैंक खातों में बड़ी रकम दिखाकर उनकी वीज़ा अर्जी को मज़बूत बनाने में भी मदद करता था।

अमेरिकी दूतावास की शिकायत से खुलासा
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ जब अमेरिकी दूतावास के प्रतिनिधि एरिक सी. मोलिटर्स ने (पंजाब) लुधियाना पुलिस को शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत के बाद पंजाब पुलिस ने तुरंत एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जिसने आरोपों की जांच शुरू की। पुलिस जांच में सामने आया कि सात लोगों का एक संगठित गिरोह इस फर्जीवाड़े में लिप्त है और ये गिरोह बड़े पैमाने पर लोगों को धोखा देकर नकली दस्तावेज़ उपलब्ध करवा रहा था।
आरोपियों की पहचान
जांच के बाद जिन 7 लोगों पर मामला दर्ज किया गया, उनकी पहचान अमनदीप सिंह (चट गांव, जीरकपुर), उनकी पत्नी पूनम रानी, अंकुर कोहाड़ (सेंट्रल ग्रीन, लुधियाना), अक्षय शर्मा (गुरु गोबिंद सिंह नगर, बठिंडा), कमलजोत कंसल (मोहाली), रोहित भल्ला (फ्रेंड्स कॉलोनी, लुधियाना) और कीर्ति सूद (बरनाला) के रूप में हुई है।
वीज़ा धोखाधड़ी में बड़ी कंपनियों का नाम
शिकायत के अनुसार, चंडीगढ़ स्थित रेड लीफ इमिग्रेशन और लुधियाना स्थित ओवरसीज़ पार्टनर एजुकेशन कंसल्टेंट्स नामक एजेंसियां इस वीज़ा धोखाधड़ी में सक्रिय थीं। इन एजेंट्स पर आरोप है कि वे फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग कर अमेरिकी दूतावास को गुमराह कर रहे थे। ये एजेंसियां आवेदकों से मोटी रकम लेकर न सिर्फ नकली शैक्षणिक डिग्रियां और अनुभव प्रमाण पत्र देती थीं, बल्कि उनके बैंक खातों में नकली बैलेंस भी दिखाने में मदद करती थीं।
आवेदकों से मोटी रकम की वसूली
जांच में पाया गया कि हिमाचल प्रदेश की सिमरन ठाकुर, मांसा की लवली कौर, जगराओं की हरविंदर कौर, नवांशहर की रामनीत कौर और हरियाणा के राहुल कुमार ने वीज़ा आवेदन के लिए फर्जी दस्तावेज़ों का उपयोग किया था। सिमरन ठाकुर ने बीएससी की फर्जी डिग्री के लिए ₹2 लाख का भुगतान किया, जबकि लवली कौर ने नकली बैंक बैलेंस और कार्य अनुभव प्रमाण पत्र के लिए ₹18,000 दिए। ये सभी फर्जी दस्तावेज़ उनके अमेरिकी वीज़ा आवेदन को मंज़ूर करवाने के लिए उपयोग किए गए थे।
धोखाधड़ी का जाल फैलाने वाले छोटे कार्यालय
SIT की जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी कीर्ति और अक्षय ने छोटे-छोटे कार्यालयों के माध्यम से यह धोखाधड़ी का नेटवर्क फैला रखा था। वे इन कार्यालयों से आवेदकों को नकली दस्तावेज़ प्रदान करते थे। अंकुर कोहाड़, जो रुद्र कंसल्टेंसी सर्विस का मालिक है, ने भी आवेदकों को फर्जी बैंक बैलेंस उपलब्ध कराने में मदद की। इस नकली बैंक बैलेंस के जरिए आवेदक यह दिखाते थे कि उनके पास अमेरिका में रहने के लिए पर्याप्त धन है, जबकि असल में ऐसा नहीं था।
कानून की गिरफ्त में आरोपी
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 318(4) और 61(2) के साथ-साथ इमिग्रेशन एक्ट की धारा 24 के तहत मामला दर्ज कर लिया है। लुधियाना पुलिस के ADCP (जांच) अमनदीप सिंह बराड़ के नेतृत्व में SIT इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और अन्य संभावित आरोपियों की तलाश की जा रही है।
आगे की जांच जारी
इस गिरोह के जरिए और कितने लोगों को फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर वीज़ा मिल चुका है, इसकी भी जांच की जा रही है। पुलिस का मानना है कि यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और इनके नेटवर्क में और भी लोग शामिल हो सकते हैं। पुलिस अब गिरोह के वित्तीय लेन-देन और उनकी संपत्तियों की भी जांच कर रही है।
लुधियाना पुलिस का कहना है कि इस तरह की धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में किसी भी आवेदक को गुमराह न किया जा सके और न ही उन्हें फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए विदेश भेजा जा सके।